बिरमित्रापुर की नगरी में....
बिरमित्रापुर की नगरी में एक धाम बड़ा अलबेला है
जहां बैठी राणी सती दादी भक्तों का लग रहा मेला है
जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय जय हो...
बिरमित्रापुर की नगरी में....
बिरमित्रापुर की नगरी में एक धाम बड़ा अलबेला है
जहां बैठी राणी सती दादी भक्तों का लग रहा मेला है
जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय जय हो...
बिरमित्रापुर में जगदम्बा माँ राणी सती खुद आई है
देखो दादी के से विग्रह में झुंझुनू की परछाईं है
आसन लगा कर बैठी है.. -2
माँ अदभुत रूप निराला है
जहां बैठी राणी सती दादी भक्तों का लग रहा मेला है
जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय जय हो...
जय दादी की.. जय दादी की.. मंदिर का कण-कण बोल रहा
आने जाने वालों के कानो में अमृत सा घोल रहा
हर रात दिवाली होती यहाँ.. -2
हर दिन ही नया सवेरा है
जहां बैठी राणी सती दादी भक्तों का लग रहा मेला है
जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय जय हो...
सौरभ-मधुकर' हीरे-मोती नाही चांदी ना सोने से
इस मंदिर का निर्माण हुआ भक्तों के खून-पसीने से
जिसको है मिली सेवा माँ की.. -2
वो भक्त तो किस्मत वाला है
जहां बैठी राणी सती दादी भक्तों का लग रहा मेला है
जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय हो.. जय जय हो...
बिरमित्रापुर की नगरी में एक धाम बड़ा अलबेला है
जहां बैठी राणी सती दादी भक्तों का लग रहा मेला है
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