400 साल पुराना है रानी सती का यह मंदिर

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राजस्थान के झुंझुनू में स्थित है रानी सती का मंदिर। शहर के बीचों-बीच स्थित मंदिर झुंझुनू शहर का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। बाहर से देखने में ये मंदिर किसी राजमहल सा दिखाई देता है। पूरा मंदिर  संगमरमर से निर्मित है। इसकी बाहरी दीवारों पर शानदार रंगीन चित्रकारी की गई है। मंदिर में शनिवार और रविवार को खास तौर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

रानी सती जी को समर्पित झुंझुनू का ये मंदिर 400 साल पुराना है। यह मंदिर सम्मान, ममता और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। देश भर से भक्त रानी सती मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। भक्त यहां विशेष प्रार्थना करने के साथ ही भाद्रपद माह की अमावस्या पर आयोजित होने वाले धार्मिक अनुष्ठान में भी हिस्सा लेते हैं।


लगी है 16 देवियों की मूर्तियां 


रानी सती मंदिर के परिसर में कई और मंदिर हैं, जो शिवजी, गणेशजी, माता सीता और रामजी के परम भक्त हनुमान को समर्पित हैं। मंदिर परिसर में षोडश माता का सुंदर मंदिर है, जिसमें 16 देवियों की मूर्तियां लगी हैं। परिसर में सुंदर लक्ष्मीनारायण मंदिर भी बना है।

राजस्थान के मारवाड़ी लोगों का दृढ़ विश्वास है कि रानी सतीजी, स्त्री शक्ति की प्रतीक और मां दुर्गा का अवतार  थीं। उन्होंने अपने पति के हत्यारे को मार कर बदला लिया और फिर अपनी सती होने की इच्छा पूरी की। रानी सती मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। वैसे अब मंदिर का प्रबंधन सती प्रथा का विरोध करता है। मंदिर के गर्भ गृह के बाहर बड़े अक्षरों में लिखा है- हम सती प्रथा का विरोध करते हैं।

मंदिर सुबह 5 बजे से दोपहर एक बजे तक और शाम 3 बजे से रात्रि 10 बजे तक खुला रहता है। मंदिर के गर्भ गृह में निकर और बरमुडा पहने लोगों का प्रवेश वर्जित है। मंदिर का दफ्तर सुबह 9 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है। राजस्थान के झुंझुनू में स्थित है रानी सती का मंदिर। शहर के बीचों-बीच स्थित मंदिर झुंझुनू शहर का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। बाहर से देखने में ये मंदिर किसी राजमहल सा दिखाई देता है। पूरा मंदिर  संगमरमर से निर्मित है। इसकी बाहरी दीवारों पर शानदार रंगीन चित्रकारी की गई है। मंदिर में शनिवार और रविवार को खास तौर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

रानी सती जी को समर्पित झुंझुनू का ये मंदिर 400 साल पुराना है। यह मंदिर सम्मान, ममता और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। देश भर से भक्त रानी सती मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। भक्त यहां विशेष प्रार्थना करने के साथ ही भाद्रपद माह की अमावस्या पर आयोजित होने वाले धार्मिक अनुष्ठान में भी हिस्सा लेते हैं।

रानी सती मंदिर के परिसर में कई और मंदिर हैं, जो शिवजी, गणेशजी, माता सीता और रामजी के परम भक्त हनुमान को समर्पित हैं। मंदिर परिसर में षोडश माता का सुंदर मंदिर है, जिसमें 16 देवियों की मूर्तियां लगी हैं। परिसर में सुंदर लक्ष्मीनारायण मंदिर भी बना है।

राजस्थान के मारवाड़ी लोगों का दृढ़ विश्वास है कि रानी सतीजी, स्त्री शक्ति की प्रतीक और मां दुर्गा का अवतार  थीं। उन्होंने अपने पति के हत्यारे को मार कर बदला लिया और फिर अपनी सती होने की इच्छा पूरी की। रानी सती मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। वैसे अब मंदिर का प्रबंधन सती प्रथा का विरोध करता है। मंदिर के गर्भ गृह के बाहर बड़े अक्षरों में लिखा है- हम सती प्रथा का विरोध करते हैं।

कब खुलता है मंदिर 

मंदिर सुबह 5 बजे से दोपहर एक बजे तक और शाम 3 बजे से रात्रि 10 बजे तक खुला रहता है। मंदिर के गर्भ गृह में निकर और बरमुडा पहने लोगों का प्रवेश वर्जित है। मंदिर का दफ्तर सुबह 9 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए विशाल आवास बना है, जहां 100 रुपये से लेकर 700 रुपये तक के कमरे उपलब्ध  हैं। मंदिर में एक कैंटीन और एक भोजनालय भी है। कैंटीन में दक्षिण भारतीय भोजन भी उपलब्ध है। भोजन दिन में 11 बजे से 1 बजे तक और शाम को 8 बजे से 10 बजे तक उपलब्ध रहता है।


कैसे पहुंचें-


झुंझुनू बस स्टैंड से रानी सती मंदिर के लिए ऑटो रिक्शा लें। दूरी तीन किलोमीटर है। ऑटो रिक्शा वाले 10 रुपये किराया लेते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 2 किलोमीटर है। वहीं शहर के गांधी चौक से मंदिर की दूरी महज एक किलोमीटर है। आप ऑटो रिजर्व करके भी मंदिर जा सकते हैं। अगर एक दिन रुकना है तो रानी सती मंदिर के स्वागत कक्ष पर आवास के लिए भी आग्रह कर सकते हैं। 
अनादि अनत


ऐसे पहुंचे


झुंझुनू बस स्टैंड से रानी सती मंदिर के लिए ऑटो रिक्शा लें। दूरी तीन किलोमीटर है। ऑटो रिक्शा वाले 10 रुपये किराया लेते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 2 किलोमीटर है। वहीं शहर के गांधी चौक से मंदिर की दूरी महज एक किलोमीटर है। आप ऑटो रिजर्व करके भी मंदिर जा सकते हैं। अगर एक दिन रुकना है तो रानी सती मंदिर के स्वागत कक्ष पर आवास के लिए भी आग्रह कर सकते हैं।  

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